मुख्यमंत्री से मिलकर कांडी प्रमुख ने की कांडी में पावर प्लांट लगाने व सोन में तटबंध की मांग

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कांडी:कांडी प्रखंड प्रमुख सह प्रमुख संघ के प्रदेश सत्येंद्र कुमार पांडेय उर्फ पिंकू पांडेय ने बुधवार को मुख्यमंत्री से मिलकर कांडी प्रखंड की दो अति महत्वपूर्ण योजनाओं की स्वीकृति की मांग की है।
प्रखंड प्रमुख पिंकू पांडेय ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से रांची में मिलकर चौथी बार मुख्यमंत्री बनने पर बुके देकर शुभकामनाएं दी तथा कांडी प्रखंड सहित अन्य क्षेत्रों के लिए अति महत्वपूर्ण योजना प्रखंड क्षेत्र की खाली पड़ी हजारों एकड़ जमीन पर पावर प्लांट लगाए जाने की मांग की है।
उल्लेखनीय है कि कांडी प्रखंड के डुमरसोता से सोनपुरा तक हजारों एकड़ सरकारी जमीन वर्षों से खाली पड़ी है। इस जमीन पर पावर प्लांट की स्थापना सहज रूप से की जा सकती है। क्योंकि पावर प्लांट लगाए जाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर के रूप में यहां हर चीज मौजूद है। सबसे पहली चीज खाली पड़ी जमीन, दूसरी चीज सोन नदी में कभी नहीं सूखने वाला पानी, तीसरी चीज सड़क के किनारे अवस्थित जमीन,मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर रेलवे लाइन उपलब्ध है। इस प्रकार यहां एक बड़े पावर प्लांट की स्थापना की जा सकती है। जिससे गढ़वा जिला को सूखा एवं अकाल पीड़ित एवं पलायन के लिए अभिशापित जिला के कलंक से छुटकारा दिलाकर उद्योग प्रधान जिला बनाया जा सकता है।
इसके अलावा प्रखंड प्रमुख ने सुंडीपुर से श्रीनगर तक सोन नद पर तटबंध बनाए जाने की दशकों पुरानी मांग पर बल देते हुए इसे स्वीकृति प्रदान कर कार्यरूप दिए जाने की गुहार लगाई है।
मालूम हो कि अभी तक काफी उपजाऊ सैकड़ो एकड़ जमीन सोन नदी में समा चुकी है। सोन नद में एक बार बाढ़ आने पर किनारे की 8% खेतिहर जमीन सोन नदी में विलीन हो जाती है। इस प्रकार सैकड़ो किसान अपनी काफी उपजाऊ व बेशकीमती जमीन से हाथ धो चुके हैं।
आजादी के पहले से सोन तटीय आबादी तटबंध की गुहार लगाती रही है। इतना ही नहीं प्रत्येक आम चुनाव में राजनेताओं के द्वारा कांडी प्रखंड के हेंठार क्षेत्र के बाढ़ पीड़ित निवासियों को तटबंध का सब्ज बाग दिखाया जाता रहा है। लेकिन कांडी प्रखंड के सोन नद के तटबंध का वादा नेताओं के इरादा में कभी शामिल नहीं हुआ। लोगों के समय-समय पर ब्रेन वाश करने के लिए ठीक आम चुनाव के पहले तटबंध निर्माण का सर्वे भी कराया जा चुका है। सोन किनारे के लोग तटबंध निर्माण संघर्ष समिति बनाकर अविभाजित बिहार की राजधानी पटना एवं झारखंड की राजधानी रांची तक आंदोलन भी चला चुके हैं। बावजूद इसके इस मांग को किसी ने नहीं सुना।
स्थानीय लोगों ने प्रखंड प्रमुख के माध्यम से इस सदियों पुरानी मांग को पूरा किए जाने की मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से उम्मीद लगाई है। आशा है यह सरकार उनके उम्मीद पर खरा उतरेगी।

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