अमरेंद्र पंडित
कांडी:रोहित शर्मा की अगुवाई में शनिवार को भारत ने टी20 वर्ल्ड कप के फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को हराकर वर्ल्ड कप अपने नाम किया। दोनों टीमों के बीच बेहद रोमांचक मुकाबला हुआ। भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया और भारतीय टीम ने दक्षिण अफ्रीका को 177 रनों का लक्ष्य दिया। शुरू शुरू में जीत की ओर अग्रसर होती जा रही दक्षिण अफ्रीका की टीम 15 ओवर तक जीत की दहलीज पर खड़ी थी। दक्षिण अफ्रीका को 28 गेंदों पर सिर्फ 27 रन बनाने थे और 6 विकेट भी हाथ में थे। हर भारतीय का सपना टूटता नजर आ रहा था। लेकिन फिर भारतीय गेंदबाजों ने वापसी की और मैच का सूर्य कुमार का वह शानदार कैच ने दक्षिण अफ्रीका के जबड़े से जीत को छीन लिया। यह चौथा मौका है जब टीम इंडिया वर्ल्ड चैम्पियन बनी है।
इसी प्रकार 2 अप्रैल 2011 को वानखेड़े स्टेडियम में वनडे क्रिकेट वर्ल्ड कप का फाइनल मुकाबला खेला गया। भारत और श्रीलंका का मुकाबला था और महेंद्र सिंह धोनी टीम के कप्तान थे। श्रीलंका ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी की। इस मैच में महेला जयवर्धने ने नाबाद 103 रन बनाए थे। श्रीलंका ने 50 ओवर में छह विकेट खोकर कुल 274 रन बनाए थे। इस टारगेट को चेज करने उतरी भारतीय टीम में वीरेंद्र सहवाग (0) और सचिन तेंदुलकर (18) जल्दी आउट हो गए थे। उसके बाद गौतम गंभीर ने शानदार 97 रनों की पारी खेली। मैच काफी रोमांचक था, इस मैच में धोनी ने नाबाद 91 रनों की पारी खेली और भारत को वनडे वर्ल्ड कप दिलाने का काम किया।
कुछ ऐसा ही 2007 का टी-20 वर्ल्डकप का भी था। फाइनल मैच भारत पाकिस्तान से था। भारतीय टीम ने पाकिस्तान को 158 रनों का टारगेट दिया था। इस रोमांचक मैच में पाकिस्तान को जब आखिरी ओवर में जीत के लिए 13 रनों की जरूरत थी, तब धोनी ने जोगिंदर शर्मा को बॉल थमाई। हर कोई इस फैसले से हैरान था, लेकिन जोगिंदर शर्मा धोनी के फैसले पर खरे उतरे और ओवर की तीसरी बॉल पर मिसबाहुल हक को कैच आउट करा पाकिस्तान से मैच छीन लिया।
उसी प्रकार 1983 का वनडे वर्ल्ड कप जीतना भारत के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था। वर्ल्ड कप से पहले भारतीय टीम को वनडे में बेहद कमज़ोर मानी जाती थी। लेकिन लॉर्ड्स में कपिल देव की अगुवाई में उतरी भारतीय टीम फाइनल में वेस्टइंडीज के साथ पहले बल्लेबाजी करते हुए भारतीय टीम 183 रनों पर सिमट गई थी।
लेकिन यहां से मैच पलटा और कपिल देव के एक बेहद मुश्किल कैच ने रिचर्ड्स को आउट कर दिया। बस फिर क्या था, यहां से बाजी पलटी और वेस्टइंडीज की टीम ताश के पत्तों की तरह ढह गई और भारत क्रिकेट की दुनिया का बादशाह बना।