कुरकुटा गांव के दिव्यांग को नहीं मिला आबुआ आवास,मीडिया के माध्यम से प्रशासन से लगाई न्याय की गुहार

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कांडी-प्रखंड के राणाडीह पंचायत अंतर्गत कुरकुटा गांव का दिव्यांग ,असहाय व बेहद गरीब जनाबुद्दीन अंसारी के परिवार को नही मिला अबुआ आवास।स्वंय जनाबुद्दीन एक पैर से दिव्यांग हैं साथ ही पत्नी कसीदा बीबी भी दिव्यांग हैं और एक लड़की शबनम खातून भी मानसिक रूप से दिव्यांग है।अपने सात सदस्यीय परिवार के साथ जनाबुद्दीन एक 10 फीट लंबा और 8 फीट चौड़ा व 5 फीट ऊंचा एक झोपड़ी में किसी तरह गुजर बसर करता है।उसने शिकायत करते हुए कहा कि गांव में पक्के घर वालों को अबुआ आवास का लाभ दिया गया है लेकिन मुझे नही मिला।अबुआ आवास की सूची में 96 नम्बर पर मेरी पत्नी का नाम कसीदा बीबी अंकित है।लेकिन जांच टीम ने मेरे पास क्या देखकर कौन सा आवास देखकर नाम को काट दिया।आवास का लाभ मुझे नही दिया गया।उसने बताया कि मैं अपने बाल बच्चों के साथ इसी झोपड़ी में पिछले 16 वर्षों से किसी तरह गुजर कर रहा हूँ।मैं बरसात के मौसम में चार महीना गांव के दुर्गा मंडप में अपने पूरे परिवार के साथ रहकर समय गुजारा हूँ।लाचार बस दो साल तक सामुदायिक भवन में रहा हूँ।इतनी विपरीत हालात के बाद भी आवास का लाभ नही मिलना आश्चर्य होता है।जबकि दो वर्ष पूर्व गांव में बसे लोगों को भी आवास का लाभ मिला है।उसने कहा कि इससे पूर्व जिसे पीएम आवास का लाभ मिल चुका है उन्हें भी अबुआ आवास का लाभ मिला है।गांव के ग्रामीण साबीर अंसारी,नसरुद्दीन अंसारी,नजाबुद्दीन अंसारी,विजय राम,नंद कुमार राम,बाबूलाल कुमार बसंत राम व कैलाश पासवान ने बताया कि गांव में जनाबुद्दीन अंसारी अबुआ आवास के लाभ प्राप्त करने के लिए सभी विन्दुओं पर सही है।गांव में सबसे पहले जनाबुद्दीन अंसारी को ही आवास मिलना चाहिए था।

इस संबंध में पंचायत मुखिया ललित बैठा ने बताया कि अबुआ आवास के लिए जनाबुद्दीन अंसारी की पत्नी का नाम पहली सूची में नाम दर्ज है लेकिन फाइनल सूची में नाम शामिल नही हो सका जिस कारण अबुआ आवास नही मिला है।मैं कोशिश कर रहा हूँ कि अंबेडकर आवास योजना के तहत आवास मिल सके।

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