अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने प्लस टू उच्च विद्यालय कांडी की प्रधानाध्यापिका के गिरफ्तारी मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की

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कांडी : राजकीय कृत +2 उच्च विद्यालय कांडी के प्रभारी प्रधानाध्यापिका को स्कूली समय के बीच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो पलामू के द्वारा गिरफ्तार किया जाना विद्यालय के साख ले लिए दुखद घटना है। इस घटना के बाद विद्यार्थी भी हैरान और परेशान हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद यह मांग करती है कि घटना की सत्यता की जांच होनी चाहिए और जो भी इस पूरी घटना में दोषी पाए जाते हैं उन पर कड़ी कार्यवाही की जाए। उक्त बातें अभाविप कांडी के नगर मंत्री प्रिन्स कुमार सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कही। उन्होंने कहा कि प्रधानाध्यापिका की गिरफ़्तारी विद्यालय पर भी कई सवाल खड़ा करती है। विद्यालय में कुछ ऐसे शिक्षक के रूप में नकाबपोश लोग हैं जिन्हें विद्यालय हित व छात्र के हितो से दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं है। दिलचस्प बात तो यह की यहां शिक्षक गुट बनाकर विद्यालय की शान्ति व्यवस्था को भंग करने का गहरी साजिश व षड्यंत्र रचते हैं।
प्रिन्स ने कहा कि वैसे तो मामला जांच का अधीन है किंतु मैं यह दावे के साथ कह सकता हूं की निष्पक्ष जांच के बाद बड़ा खुलासा होगा। मुझे जहां तक जानकारी है की वोकेशनल एजुकेशन का पैसा पहले खर्च किया जाता है तब बी आर सी द्वारा बिल पास होता है। और यही काम मैडम द्वारा किया गया था, अपने पैसों से वोकेशनल टूर वगैरह कराई तथा चार या पांच वेंडर बनाई जिसमें से एक वेंडर धर्मेन्द्र रजक व्यवसायिक शिक्षक भी थे, इनके खाते में बी आर सी के द्वारा 56000 रुपए भेजें गए थें उसी पैसे का मांग मैडम द्वारा किया जा रहा था। धर्मेन्द्र रजक जो आवेदन एसीबी टीम को दिए हैं वह आवेदन भी उनके द्वारा नही बनाया गया है यहां तक कि धर्मेन्द्र रजक का हस्ताक्षर भी सहयोगी षड्यंत्रकारियों ने ही कर दिया है यह भी गंभीर जांच का विषय हैं। इतना ही नहीं यदि पैसे रिश्वत के थे तो दिनांक 06-08-24 को भी धर्मेंद रजक के द्वारा उसी छप्पन हजार रुपए में से दस हज़ार रुपए आरोपी प्रधानाध्यापिका को विद्यालयकर्मियों के सामने दिया गया है साक्ष्य के तौर पर ऑफिस में लगे सीसीटीवी फुटेज को भी देखा जा सकता है। सबके सामने घुस लिया जा सकना अविश्वसनीय है। परिषद का स्पष्ट तौर पर मानना है कि इस प्रकार की घटना से विद्यालय परिसर की छवि और विद्यार्थियों के शैक्षणिक भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अपने कार्यकाल में खुद दो बार सस्पेंड हुए और अपने कार्य के प्रति निष्क्रिय शिक्षकों का गुट द्वारा आय दिन विद्यालय के अन्य शिक्षकों को भड़काने का प्रयास रहता है। ये तो कक्षा संचालन के समय भी शिक्षक सदन में खराटे लेते हैं। आवश्यकता पड़ी तो साक्ष्य के तौर पर वीडियो क्लिप भी दूंगा। सरकारी विद्यालयों में उन्ही के बच्चे आते हैं जो की बेबस, लाचार हैं या उनकी क्षमता प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने की नहीं हैं। ऐसे घृणित कार्यों व आपसी गुटबाज़ी में क्षेत्र की बच्चों का भविष्य पीस रहा है। उक्त घटना का जितना जल्दी निपटारा हो छात्रहित में वही बेहतर है।

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